ना जाने जिन्दगी ने हमे कौनसे मोड पे खडा कर दिया !
जो नजदिक थे दूर जाने लगे और दूर थे वो काफी दूर चले गये,
इस नजदिकियो कि दूरियो कि कश्मकश मे एक पल ऐसा आया कि
वो हमसे खुद तनहा रेह गये और कम्बखत हमे भी इस भीड के काफीलो मे तनहा कर गये,
काफी बार बताना चाहा अपनी बात…
पर इस कि पुकार सुने बगैर हि वो हमे रुसवाइयो के हवाले कर गये!
आन्खो से आसु भी निकल आते,
उनकी यादो मे पल पल तरसते…
चाह कर भी किसी से न कर पाते हाले -ए -दिल कि बात
इसीलिये अपने से सौदा करके अरमान् मे ही दफन कर गये!!!
©Sagar